नया साल और हमारे मुस्लिम युवा
लेखक :अशरफ शाकिर
इस्लाम धर्म दुनिया का एक मात्र धर्म है जिसके सारे नीति नीयम मनुष्य हीत के लिए हैं, हर वह काम जो इंसान के लिए लाभदायक है उसे इस्लाम ने हमें करने के लिए कहा है। और हर वह काम जिसमें हमारे लिए नुकसान है उसे करने से हमें रोका है।
नया साल के मौके पर जश्न और खुशी मनाना यह इस्लामी संस्कृति का हिस्सा नहीं है बल्कि यह क्रिस्चियन - यहुदीयों की संस्कृति का हिस्सा है।
आज से कुछ वर्षों पहले मुस्लिम समाज के नौजवानों में नया साल के प्रति इस कदर जुनून नही था परंतु अब ऐसा लग रहा है कि नया साल का जश्न इस्लाम का एक हिस्सा है।
संस्कृति पहले मज़हब के अनुसार ताबे हुआ करती थी परंतु अब मज़हब संस्कृति के ताबे बन रहा है।
नया साल के मौके पर हमें मज़ीद अपने अमलों का जायज़ा लेना चाहिए कि हमने अपने दीन व दुनिया के लिए पूरे एक साल में क्या खोया किया पाया ?
परंतु आज हम अंधकार के पिछे भाग रहे हैं।
शायद हम भूल रहे हैं कि हमे अपने रब के सामने खड़ा होना है।
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